मोरबी: मोरबी पुल आपदा की जांच में सामने आया है कि ओरेवा ग्रुप, जिसे पुल की मरम्मत का ठेका दिया गया था, ने आवंटित राशि का केवल छह प्रतिशत ही खर्च किया था. कंपनी को पुल की मरम्मत के लिए 2 करोड़ रुपये मिले, लेकिन केवल 12 लाख रुपये खर्च किए थे. जांच के अनुसार, कंपनी ने पुल को मरम्मत करने की जगह पर रंगाई-पुताई कर दिया था. अगर ठीक से मरम्मत की जाती तो यह हादसा नहीं होता.
ओरेवा कंपनी ने पुरानी केबल नहीं बदली, जंग के कारण टूटा पुल
दर्दनाक हादसे के चार दिन पहले 26 अक्टूबर को मोरबी पुल को जनता के लिए खोल दिया गया था और पहले इसे मरम्मत के लिए सात महीने के लिए बंद कर दिया गया था. मिल रही जानकारी के अनुसार मरम्मत के दौरान ओरेवा कंपनी ने इसका फर्श बदल दिया था. लेकिन केबल को नहीं बदला था. पुलिस के मुताबिक जिस जगह पर केबल टूटा था, उस जगह पर जंग लग गई थी और अगर इसे ठीक कर दिया जाता तो हादसा नहीं होता.
ओरेवा ने दूसरी कंपनी को दिया मरम्मत का ठेका
पुलिस जांच में सामने आया कि ओरेवा कंपनी ने पुल की मरम्मत खुद नहीं की बल्कि ध्रांगध्रा स्थित देवप्रकाश सॉल्यूशंस को इसे करने की जिम्मेदारी सौंप दी थी. ओरेवा की तरह, देवप्रकाश सॉल्यूशंस के पास भी पुल की मरम्मत के लिए तकनीकी जानकारी का अभाव था और उसने केवल इसे पेंट करके अपना काम पूरा मान लिया था. देवप्रकाश सॉल्यूशंस के दस्तावेज से पता चलता है कि मरम्मत पर सिर्फ 12 लाख रुपये खर्च किए गए हैं. जबकि इसके लिए कंपनी को 2 करोड़ रुपया मिला था.
मोरबी नगर निगम का मुख्य अधिकारी निलंबित
मोरबी केबल ब्रिज हादसे में 135 लोगों की मौत के बाद नगर निगम के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह झाला को निलंबित कर दिया गया है. 30 अक्टूबर को मोरबी में केबल ब्रिज गिरने की घटना हुई थी. मोरबी में केबल ब्रिज गिरने से 135 लोगों की मौत के बाद पुलिस कार्रवाई शुरू हुई और इस घटना में 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री मोदी तक ने घटना स्थल का दौरा किया और जानकारी ली थी. इतना ही नहीं पीएम मोदी ने घटनास्थल का दौरा करने के बाद अधिकारियों को निष्पक्ष जांच का निर्देश दिया था.
मुख्य अधिकारी ने ओरेवा कंपनी पर लगाया था गंभीर आरोप
मुख्य अधिकारी संदीप सिंह झाला ने बताया कि नगर पालिका का झूलता पूल जर्जर हालत में था, उस वक्त इसका इस्तेमाल बंद कर दिया गया था. अजंता ओरेवा समूह ने इस पूल को मरम्मत और रखरखाव की तैयारी दिखाई थी. उसके बाद उनकी कलेक्टर के साथ बैठक भी हुई थी. उनकी ओर से फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया था. मोरबी नगर पालिका के अधिकारी ने यह भी दावा किया कि पुल खोलने से पहले ओरेवा कंपनी द्वारा गुणवत्ता जांच नहीं की गई थी.
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