दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ को भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ दिलाई. जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 तक इस पद पर रहेंगे.
जस्टिस चंद्रचूड़ अपने कई फैसलों के लिए जाने जाते हैं, खासकर जब चंद्रचूड़ ने एक मामले में अपने पिता और पूर्व मुख्य न्यायाधीश वी वाई चंद्रचूड़ के फैसले को पलट दिया था. पूर्व सीजेआई यूयू ललित ने 8 नवंबर को अपने विदाई समारोह में जस्टिस चंद्रचूड़ के कई मामलों का जिक्र किया.
डीवाई चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर 1959 को हुआ था. उनका पूरा नाम धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी की पढ़ाई की है. इसके बाद उन्होंने प्रतिष्ठित इनलाक्स स्कॉलरशिप की मदद से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की. हार्वर्ड में, उन्होंने कानून में परास्नातक (एलएलएम) और फोरेंसिक विज्ञान में डॉक्टरेट (एसजेडी) पूरा किया. उन्होंने ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड लॉ स्कूल, येल लॉ स्कूल और यूनिवर्सिटी ऑफ़ विटवाटरसैंड, दक्षिण अफ्रीका में व्याख्यान भी दिया है.
50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली
29 मार्च 2000 को, उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. उन्होंने 31 अक्टूबर 2013 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी. मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की सेवानिवृत्ति के बाद, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ नवंबर 2022 से भारत के 50 वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य करेंगे. वह भारत के 16वें और सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति वाईवी चंद्रचूड़ के पुत्र हैं.
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