गांधीनगर: गुजरात में शराब पर प्रतिबंध है, लेकिन इस ड्राई राज्य में शराब के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है. राज्य में शराब के सेवन के लिए परमिट सिस्टम है. कोई भी स्वास्थ्य परमिट के साथ ही शराब का सेवन कर सकता है. जिसके बाद प्रदेश में हेल्थ परमिट की संख्या लगातार बढ़ रही है. स्वास्थ्य परमिट की संख्या में 49 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. गुजरात में नवंबर, 2020 तक हेल्थ परमिट की संख्या 27,452 थी, अब इनकी संख्या बढ़कर 40,921 हो गई है. पिछले साल नवंबर में यह संख्या 37,421 पर पहुंच गई थी.
नई जीवनशैली जिम्मेदार
गुजरात सरकार के शराबबंदी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में हेल्थ परमिट के जरिए शराब पीने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है. दूसरी ओर विभाग में स्वास्थ्य परमिट के लिए आवेदनों का अंबार लगा हुआ है. इसमें नए लाइसेंस और नवीनीकरण के लिए आवेदन करना शामिल है. आंकड़ों के मुताबिक विभाग को नए परमिट के लिए ज्यादा आवेदन मिले हैं. सूत्रों के मुताबिक इस अर्जी में अनिद्रा, अवसाद और उच्च रक्तचाप के कारण शराब पीने की अनुमति मांगी गई है. जहां एक ओर स्वास्थ्य परमिट की संख्या बढ़ रही है, वहीं विभाग ने पिछले एक दशक से परमिट के लिए वित्तीय पात्रता मानदंड में कोई बदलाव नहीं किया है. गुजरात में केवल स्वास्थ्य परमिट के माध्यम से शराब के सेवन की अनुमति है. परमिट के लिए आवेदक की आय तीन लाख रुपए सालाना होनी चाहिए. इतना ही नहीं आवेदक को लगातार कम से कम पांच साल तक आईटी रिटर्न फाइल करना होना चाहिए. माना जा रहा है कि लोगों की जीवनशैली में बदलाव के कारण स्वास्थ्य परमिट के लिए आवेदनों की संख्या भी बढ़ रही है.
विदेशी शराब की डिमांड
सरकार के एंटी नारकोटिक्स डिपार्टमेंट के आंकड़ों में हेल्थ परमिट की संख्या बढ़ने के साथ ही बिक्री पर भी इसका असर दिखने लगा है. राज्य में सक्रिय शराब विक्रेताओं का कहना है कि परमिट बढ़ने से शराब पीने वालों की मांग में बदलाव आया है. हाल के वर्षों में विदेशी शराब की डिमांड काफी बढ़ गई है. गुजरात में शराबबंदी के चलते पर्यटकों के साथ-साथ राज्य के लोगों को भी हेल्थ परमिट पर शराब पीने की इजाजत है. बाहर से आने वाले शराब प्रेमियों को परमिट लेना होता है. इसके बाद ही वे शराब का सेवन कर सकते हैं.
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