वाशिंगटन: अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल में छपा एक विज्ञापन विवादों में है. इस विज्ञापन में भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत 10 वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को विदेशी निवेशक विरोधी होने के कारण वॉन्टेड बताया गया है. इस विज्ञापन ने भारत में एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है. आपको बता दें कि विज्ञापन ऐसे समय में प्रकाशित किया गया है जब सीतारमण जी20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक में भाग लेने के लिए अमेरिका में हैं.
निर्मला सीतारमण के अलावा, एंट्रिक्स कॉर्प के अध्यक्ष राकेश शशिभूषण, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस हेमंत गुप्ता, वी रामसुब्रमण्यम, स्पेशल पीसी (भ्रष्टाचार निवारण) अधिनियम के न्यायाधीश चंद्रशेखर, सीबीआई के डीएसपी आशीष पारीक, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमन का नाम शामिल है. विज्ञापन में ईडी के सहायक निदेशक आर राजेश और उप निदेशक ए सादिक मोहम्मद का नाम भी शामिल है.
विज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि इन सभी लोगों ने सरकारी संस्थानों का दुरुपयोग किया है और भारत को निवेशकों के लिए असुरक्षित बना दिया है. विज्ञापन के नीचे एक क्यूआर कोड भी है, जिसे स्कैन करने पर अमेरिकी थिंक टैंक फ्रंटियर्स ऑफ फ्रीडम की वेबसाइट खुल जाती है.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की वरिष्ठ सलाहकार कंचन गुप्ता ने दावा किया कि इस अभियान को देवास मल्टीमीडिया के पूर्व सीईओ रामचंद्रन विश्वनाथन चला रहे हैं. उन्होंने ट्वीट किया, “विश्वासघातियों द्वारा अमेरिकी मीडिया को हथियार बनाना शर्मजनक है. यह चौंकाने वाला घिनौना विज्ञापन भारत और उनकी सरकार को निशाना बनाने के लिए छापा गया है. क्या आप जानते हैं इसके पीछे कौन है? यह अभियान भगोड़े रामचंद्र विश्वनाथ चला रहे हैं, जो देवास के सीईओ थे.
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