जयपुर: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात के बाद पायलट खेमे के विधायक भंवरलाल शर्मा मीडिया से रूबरू हुए.
भंवरलाल शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री से क्षेत्र की समस्याओं को लेकर बातचीत हुई.
हमारी जो नाराजगी थी वो दूर हो गई है. कांग्रेस में कोई कैंप ही नहीं था.
मैं अपनी इच्छा से गया था और इच्छा से ही आया हूं.
मेरा पार्टी से कोई गिला-शिकवा नहीं है.
विकास कार्यों को लेकर मुख्यमंत्री से चर्चा हुई है.
पूरे 5 साल कांग्रेस की सरकार चलेगी.
भंवरलाल शर्मा ने कहा कि वायरल हुआ ऑडियो झूठा था.
मैं कांग्रेस के साथ हूं,घर का मामला था जो निपट गया है.
इससे पहले भंवरलाल शर्मा सीएमआर पहुंचे, जहां पर उन्होंने मुख्यमंत्री गहलोत से बातचीत की हैं
तीन सदस्यीय कमेटी बनाने की कही गई बात
इससे पहले सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सोमवार दोपहर सचिन पायलट की राहुल गांधी-प्रियंका गांधी और केसी वेणुगोपाल से मुलाकात हुई थी.
इस दौरान चारों के बीच करीब दो घंटे तक चर्चा हुई.
मुलाकात के बाद राहुल और प्रियंका सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे.
उसके बाद अब राहुल-सोनिया और प्रियंका के बीच मुलाकात हुई.
मिली जानकारी के अनुसार इस दौरान तीन सदस्यीय कमेटी बनाने की बात कही गई है.
ऐसे में तीनों सदस्य पूरे मामले पर विचार विमर्श करने के बाद ही विधायकों की वापसी पर फैसला लेंगे.
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फिलहाल सचिन पायलट की बातों को नहीं माना गया है. शायद यह मीटिंग बहुत कामयाब नहीं रही.
आलाकमान पायलट की मूल मांग मानने के मूड में नहीं है.
आलाकमान ने राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन से साफ इनकार किया है.
ऐसे में अब आखिर कैसे होगी पायलट और बागियों की सम्मानजनक घर वापसी? फिलहाल किसी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा है.
शायद आज रात तक कुछ स्थिति स्पष्ट हो जाए.
एक बार फिर उम्मीद जताई जा रही
बता दें कि 14 अगस्त से ही राजस्थान में विधानसभा का सत्र शुरू होने जा रहा है, इस पर सचिन पायलट गुट ने सत्र में शामिल होने के संकेत दे दिए थे.
ऐसे में अब प्रियंका और राहुल गांधी से मुलाकात के बाद एक बार फिर उम्मीद जताई जा रही है कि सचिन पायलट अपनी नाराजगी भूलकर पार्टी में वापस आएंगे.
पहले भी प्रियंका गांधी वाड्रा ने सचिन पायलट से कई बार फोन पर बात की थी और उन्होंने मसला सुलझाने का प्रयास किया था.
गहलोत गुट के विधायकों ने की थी एक्शन की मांग
इससे पहले सोमवार को ही ये बात सामने आई थी कि राजस्थान में गहलोत गुट के विधायकों ने मांग की है कि बागी विधायकों पर एक्शन होना चाहिए, जिसपर सीएम गहलोत ने फैसला आलाकमान पर छोड़ने की बात कही थी.
साथ ही कहा था कि इस बारे में सबको आलाकमान का फैसला मानना चाहिए.