मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तीन अहम फैसले किए हैं. किसानों को बड़ी राहत देते हुए मुख्यमंत्री ने समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए मंडी शुल्क एवं कृषि कल्याण शुल्क माफ करने को मंजूरी दे दी. वहीं कृषि उपज मण्डियों को राहत देते हुए ब्याज माफी योजना की अवधि 31 दिसम्बर तक बढ़ा दी. तीसरा अहम फैसला राजकीय आईटीआई की गेस्ट फैकल्टीज को लॉकडाउन अवधि का पारिश्रमिक देने का किया.
उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार द्वारा जारी पीएसएस गाइडलाइन्स के अनुरूप प्रदेश में इस खरीफ सीजन में समर्थन मूल्य पर मूंग, उडद, मूंगफली एवं सोयाबीन की खरीद, परिवहन, भंडारण एवं बिक्री के लिए इन शुल्कों को माफ करने की स्वीकृति दी गई है. गहलोत ने प्रदेश में कृषि विपणन से जुड़े व्यापारियों को बड़ी राहत देते हुए समितियों की ओर बकाया राशि की वसूली के लिए ब्याज माफी योजना 2019 की अवधि 31 दिसम्बर 2020 तक बढ़ाए जाने का निर्णय लिया है.
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राज्य की विभिन्न कृषि मण्डी समितियों की ओर 30 सितम्बर 2019 तक मण्डी शुल्क, आवंटन शुल्क तथा अन्य बकाया सहित कुल 68 करोड़ रुपए की राशि बकाया थी. इस राशि की वसूली के लिए ब्याज माफी योजना के तहत 31 मार्च 2020 तक समस्त मूल बकाया राशि तथा इस पर देय ब्याज की 25 प्रतिशत राशि जमा कराने पर ब्याज में 75 प्रतिशत छूट दी गई थी. पूर्व में कोविड-19 महामारी के कारण माफी योजना की अवधि 30 सितम्बर, 2020 तक बढ़ाई गयी थी, जिसे अब 31 दिसम्बर, 2020 तक बढ़ा दिया गया है.
राजकीय आईटीआई संस्थाओं में कार्यरत गेस्ट फैकल्टीज को लॉकडाउन अवधि के पारिश्रमिक का भुगतान का संवेदनशील निर्णय भी मुख्यमंत्री ने लिया है. इस निर्णय से राजकीय आईटीआई संस्थाओं में कार्यरत 1066 गेस्ट फैकल्टीज को लॉकडाउन अवधि का पारिश्रमिक मिल सकेगा. इस पर राज्य सरकार करीब 4 करोड़ 33 लाख रुपये का वित्तीय भार वहन करेगी.
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उल्लेखनीय है कि राजकीय आईटीआई संस्थाओं में कार्यरत गेस्ट फैकल्टीज को पारिश्रमिक का भुगतान प्रतिघंटा की दर के आधार पर दी गई सेवाओं के अनुरूप किया जाता है. मुख्यमंत्री ने लॉकडाउन के कारण अध्ययन/अध्यापन का कार्य प्रभावित होने की स्थिति में पारिश्रमिक से वंचित इन गेस्ट फैकल्टीज को भी अनुबंधित, कैजुअल या आउटसोर्स कार्मिक मानते हुए लॉकडाउन अवधि का पारिश्रमिक भुगतान करने का निर्णय किया है.