नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 600 प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों एवं भारतीय जन उर्वरक परियोजना एक राष्ट्र एक उर्वरक का शुभारंभ किया. इसके अलावा पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 12वीं किस्त भी जारी की, इस मौके पर समारोह को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि आज देश में 600 से ज्यादा PM किसान समृद्धि केंद्रों की शुरुआत हो रही है, ये केंद्र केवल किसानों के लिए उर्वरक खरीद बिक्री का केंद्र नहीं बल्कि एक संपूर्ण रूप से किसान के साथ घनिष्ठ नाता जोड़ने वाला है और उसके हर सवालों का जवाब देने वाला केंद्र है. अभी देश के करोड़ों किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के रूप में 16,000 करोड़ रुपए की एक और किस्त जारी की गई है.
इसके अलावा पीएम मोदी ने कहा कि आज ‘वन नेशन, वन फर्टिलाइजर’ के रूप में किसानों को सस्ती और क्वालिटी खाद भारत ब्रांड के तहत उपलब्ध कराने की योजना भी शुरू हुई है. 2014 से पहले फर्टिलाइजर सेक्टर में काफी संकट थे..किसानों का हक छीना जाता था और बदले में लाठियां झेलनी पड़ती थी इसे किसान कभी नहीं भूल सकते. हमने यूरिया की शत प्रतिशत नीम कोटिंग करके उसकी कालाबाजारी रुकवाई. हमने बरसों से बंद पड़े देश के छह सबसे बड़े यूरिया कारखानों को फिर से शुरू करने के लिए मेहनत की, यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भर के लिए भारत अब तेजी से लिक्विड नैनो यूरिया की तरफ बढ़ रहा है.
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि नैनो यूरिया, कम खर्च में अधिक प्रोडक्शन का माध्यम है. जिसको एक बोरी यूरिया की जरूरत लगती है वो काम अब नैनो यूरिया की एक छोटी सी बॉटल से हो जाता है. ये विज्ञान और टेक्नोलॉजी का कमाल है. फर्टिलाइजर सेक्टर में रिफॉर्म के हमारे अब तक के प्रयासों में आज दो और प्रमुख रिफॉर्म, बड़े बदलाव जुड़ने जा रहे हैं. पहला बदलाव ये है कि आज से देशभर की सवा 3 लाख से अधिक खाद की दुकानों को प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों के रूप में विकसित करने के अभियान की शुरुआत हो रही है. ये ऐसे केंद्र होंगे जहां खिर्फ खाद ही नहीं मिलेगी बल्कि बीज, उपकरण, मिट्टी की टेस्टिंग, हर प्रकार की जानकारी जो भी किसान को चाहिए वो इन केंद्रों पर एक ही जगह मिलेगी.
उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए आगे कहा कि किसानों को कम कीमत पर खाद मिले, इसके लिए इस वर्ष लगभग ढाई लाख करोड़ रुपये केंद्र सरकार सिर्फ यूरिया के लिए लगा रही है. आयात पर हो रहे खर्च को कम करने के लिए, देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, हम सभी को मिलकर संकल्प करना होगा. हमारे देश के किसान पर बोझ न पड़े, हमारे किसान पर कोई नया संकट ना आए इसलिए जो 70-80 रुपए में यूरिया हम आज बाहर से लाते हैं वो हम किसानों को 5-6 रुपए में पहुंचाते हैं ताकि हमारे किसान भाइयों-बहनों को कष्ट ना हो. आज सबसे अधिक खर्च जिन चीजों को आयात करने में हमारा होता है, वो खाने का तेल, फर्टिलाइजर और कच्चा तेल है, इनको खरीदने के लिए ही हर वर्ष लाखों करोड़ रुपये हमें दूसरे देशों को देना पड़ता है. विदेशों में अगर कोई समस्या आती है तो इसका बुरा असर हमारे यहां भी पड़ता है.
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