भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने डूंगरपुर हिंसा मामले में और पूरे मामले के लिए सरकार की लचर कानून व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराते हुए सरकार को पूरी तरह असफल बताया है। चतुर्वेदी ने सरकार से दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने और पीड़ितों को उचित मुआवजा देने की मांग की है।
चतुर्वेदी ने कहा कि 18 सितंबर को ही कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक के दौरान उदयपुर के पुलिस महानिरीक्षक एवं डूंगरपुर के पुलिस अधीक्षक ने इन गतिविधियों के बारे में बता दिया था। अगर सरकार उसी समय तुरंत प्रशासनिक-राजनीतिक समाधान प्रारंभ कर देती तो शायद आज उस पूरे इलाके में अशांति एवं अराजकता की स्थिति नहीं फैलती।
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उन्होंने सरकार पर स्थिति को गंभीरता से न लेने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब राज्य सरकार के पास गुप्तचर एजेंसियों के माध्यम से पर्याप्त समय पूर्व बाहर से आकर एक विचारधारा के लोगों द्वारा स्थानीय लोगों को भड़काने के संबंध में सूचना थी, तब राज्य सरकार 10 दिन तक किसके इंतजार में बैठी रही।
चतुर्वेदी ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम में कहीं ना कहीं मुख्यमंत्री द्वारा सत्ता संतुलन बिगड़ने की आशंका के कारण भी प्रभावी कार्रवाई नहीं होना परिलक्षित होता है। सरकार की निष्क्रियता और समय पर निर्णय लेने की अक्षमता ने आज उस शांत क्षेत्र को सामाजिक विद्वेष की आग में धकेलने का काम किया है।
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सरकार को घटना या मुद्दे तक सीमित न रहकर उस क्षेत्र में शांति व सौहार्द की स्थापना तथा विकास के मुद्दे को ध्यान में रखकर दीर्घकालीन विस्तृत योजना बनानी चाहिए ताकि देश में हिंसा के माध्यम से राजनैतिक जमीन तलाशने वाले अराजक तत्वों के मंसूबे सफल ना हो।