राजस्थान में 20 जिलों के 90 नगरीय निकायों में चुनावों की घोषणा हो गई है। इसके साथ ही कांग्रेस के मंत्री-विधायक अपने सियासी गढ़ बचाने की तैयारी में जुट गए हैं। राज्य में होनेवाले मंत्रिमंडल विस्तार के मद्देनजर ये चुनाव कांग्रेस विधायकों और मंत्रियों के लिए बहुत अहम हैं। सत्ता में निर्विवाद बने रहने के लिए मंत्रियों और मंत्रिमंडल में शामिल होने की दावेदारी मजबूत करने के लिए विधायकों को चुनाव जीतकर दिखाना होगा।
28 जनवरी को होने वाले इन चुनावों में प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा सहित 6 मंत्रियों, सरकारी उप मुख्य सचेतक और 23 विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर है। मंत्रियों पर 1 नगर निगम, 3 परिषदों और 9 पालिकाओं में पार्टी को जितानी की जिम्मेदारी रहेगी। इस चरण के चुनाव कांग्रेस नेताओं के लिए इसलिए भी अहम हैं कि हाल ही 50 निकायों के चुनाव में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया और 36 निकायों में बोर्ड बनाए। इससे पार्टी उत्साहित है। प्रदेश कांग्रेस को नई कार्यकारिणी भी मिल गई है। ऐसे में डोटासरा सहित 40 सदस्यीय टीम के सामने बड़ी चुनौती है। बड़ी वजह यह भी है कि जहां चुनाव हो रहे हैं, वहां पिछले चुनाव में भाजपा की स्थिति अच्छी रही थी।
कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भंवरलाल मेघवाल और कैलाश त्रिवेदी का निधन हो चुका है। दोनों के परिजन टिकट के दावेदार हैं। उन पर मुख्य रूप से जिम्मेदारी रहेगी ताकि विधानसभा उपचुनाव में टिकट के लिए दावेदारी मजबूत कर सकें। मेघवाल के विधानसभा क्षेत्र सुजानगढ़ में नगर परिषद सुजानगढ़ और नगर पालिका बीदासर में चुनाव हैं। त्रिवेदी के विधानसभा क्षेत्र सहाड़ा में नगर पालिका गंगापुर नगर में चुनाव हैं। इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव जीतने का माहौल बनाने के लिए कांग्रेस को भी खास रणनीति बनानी होगी।