जम्मू-कश्मीर: इस साल जम्मू-कश्मीर में भी विधानसभा चुनाव होने की संभावना जताई जा रही है. इस बीच जम्मू प्रशासन ने मंगलवार को एक आदेश जारी कर तालुका विकास अधिकारियों और राजस्व अधिकारियों को “एक वर्ष से अधिक समय से जम्मू में रहने वाले व्यक्तियों” को निवास प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अधिकृत किया है.
जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि कोई भी पात्र मतदाता पंजीकरण से वंचित न रहे. यह फैसला मतदाता सूची में संशोधन की प्रक्रिया का हिस्सा है.
फैसले के बाद, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर लिखा “चुनाव आयोग का मौजूदा आदेश, जो नए मतदाताओं के पंजीकरण का आह्वान करता है, जम्मू के बाहर के लोगों को यहां बसाने के लिए सरकार की परियोजना की शुरुआत है. पहला नुकसान डोगरा संस्कृति, उनकी पहचान, रोजगार और व्यापार को होगा.”
एक वर्ष से अधिक समय से जम्मू में रहने वाले लोगों को मतदाता के रूप में पंजीकृत करा सकने के फैसले पर गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में ये अहमियत रही है कि केवल स्थानीय लोगों (चाहे वह जम्मू या कश्मीर में रह रहे हो)को ही मतदान करने का हक होना चाहिए. बाहर के लोगों को अपना वोट यहां नहीं डालना चाहिए बल्कि वे अपने राज्यों में सिस्टम के अनुसार सीलबंद लिफाफे में मतदान कर सकते हैं.
इससे पहले चुनाव आयोग ने किया था बड़ा फैसला
इससे पहले जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव आयुक्त हरदेश कुमार ने कहा था कि यहां रहने वाले गैर-कश्मीरी लोग पंजीकरण कर सकते हैं और मतदान कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें स्थानीय निवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के लिए तैनात सुरक्षा बल के जवान भी अपना नाम मतदाता सूची में शामिल करवा सकते हैं. जम्मू-कश्मीर में इस बार मतदाता सूची में करीब 25 लाख नए मतदाताओं के शामिल होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों, छात्रों, मजदूरों और कश्मीर में रहने वाले किसी भी गैर-कश्मीरी का नाम मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा.
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