19 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तोड़जो़ड की राजनीति शुरू कर दी है. बीजेपी ने निर्दलीय विधायकों से समर्थन लेने के लिए अपनी कोशिशें तेज कर दी है. बताया जा रहा है कि कई निर्दलीय विधायकों के पास बीजेपी से राज्यसभा चुनाव में समर्थ के लिए ओफर आए हैं.
सीएम अशोक गहलोत के पास पहले से ही इस तोड़फोड़ की कवायद की जानकारी है. सीएम अशोक गहलोत एक इंटरव्यू में भी राजस्थान में बीजेपी की तोड़फोड़ की कोशिश के बारे में बयान दे चुके हैं. गहलोत ने ट्वीट किया था कि भाजपा फिर से अपने जांची परखी रणनीति का उपयोग कर रही है, जो राज्यसभा चुनावों से पहले गुजरात में होर्स ट्रेडिंग में जुटी है. यह राज्य में सीटें जीतने के लिए किसी भी हद तक जा सकते है. विपक्षी विधायकों को किसी भी तरह से लुभाना सीटें हथियाने के लिए पार्टी का एकमात्र गेम प्लान है.
राजस्थान में राज्यसभा की कुल 10 सीटें हैं. इनमें से 9 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है और एक सीट पर कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सांसद हैं. इन 10 सीटों में से तीन सीटों पर 18 जून को चुनाव होने हैं. प्रदेश में 2018 विधानसभा चुनाव के बाद बदले हुए राजनैतिक समीकरणों का असर राजस्थान की रिक्त राज्यसभा की तीन सीटों पर भी पड़ेगा.
राजस्थान की तीन सीटों पर हो रहे चुनाव को लेकर पूरे 200 विधायकों के मान्य वोट हैं. फिलहाल कांग्रेस के पास 107 विधायक है तो बीजेपी के पास 72 विधायक हैं. कांग्रेस के पास 13 निर्दलियों में से अधिकतर का समर्थन भी हैं. अन्य छोटी पार्टियों और निर्दलीय विधायकों की संख्या 21 है. इस लिहाज से बीजेपी के खाते में एक और कांग्रेस के खाते नें दो सीट आएगी.