हिजाब विवाद को लेकर AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी का बयान सामने आया है. उन्होंने सवाल किया कि क्या हिजाब मुसलमानों के ‘पिछड़ेपन’ का प्रतिनिधित्व करता है और पूछा कि क्या मुस्लिम महिलाएं देश के विकास में योगदान नहीं दे रही हैं. इस मौके पर उन्होंने एक बार फिर जोर देते हुए कहा कि मुस्लिम बेटियां हिजाब अपने सिर पर पहनती है अपने दिमाग पर नहीं. इसके अलावा उन्होंने कहा, ‘जिसे बिकिनी पहननी है वह पहने लेकिन आप क्यों चाहते हैं कि मेरी बेटियां हिजाब उतार दें और मैं अपनी दाढ़ी कटवा लूं.
हिजाब बैन पर सुप्रीम कोर्ट के विभाजनकारी फैसले के बाद अपने संबोधन में ओवैसी ने कहा कि अगर मुस्लिम महिलाएं अपना सिर ढकना चाहती हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वे अपनी बुद्धि को भी ढक रही हैं. लोग ऐसा भी कह रहे हैं कि मुसलमान छोटे बच्चों को हिजाब पहनने के लिए मजबूर कर रहे हैं. क्या हम वास्तव में अपनी लड़कियों को मजबूर कर रहे हैं?
कर्नाटक हिजाब प्रतिबंध विवाद का जिक्र करते हुए ओवैसी ने कहा, “जब एक हिंदू, सिख और ईसाई छात्रा को उनकी धार्मिक पोशाक पहनकर कक्षा में प्रवेश करने की अनुमति दी जाती है. तो फिर मुस्लिम छात्राओं को क्यों रोका जाता है. इस भेदभाव से वह सोचेंगे कि मुसलमान हमसे नीचे हैं.
इसके अलावा ओवैसी ने कहा कि कुछ लोगों के सिर में और पेट में दर्द हुआ जब मैंने कहा कि इस देश को एक दिन हिजाब पहने वाली प्रधानमंत्री मिलेगी. मैं ऐसा क्यों नहीं कहता? यह मेरा सपना है, इसमें गलत क्या है? लेकिन आप कहते हैं कि हिजाब नहीं पहनना चाहिए. फिर क्या पहनना चाहिए? बिकिनी? आपको वह भी पहनने का अधिकार है. लेकिन आप क्यों चाहते हैं कि हमारी बेटियां अपना हिजाब उतार दें और मैं अपनी दाढ़ी मुंडवाऊं?
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