विशाल मिस्त्री राजपिपला: पिछले 35 सालों से गुजरात की राजनीति में दबदबा बनाए रखने वाले छोटूभाई वसावा के परिवार में विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. बीते दिनों छोटूभाई वसावा के सबसे छोटे बेटे दिलीप वसावा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था, दूसरी ओर छोटूभाई वसावा ने अपने बड़े बेटे महेश वसावा के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवारी की घोषणा की है.
यह पूरा विवाद तब पैदा हुआ जब बीटीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और डेडियापाड़ा के विधायक महेश वसावा ने खुद को झघड़िया से दावेदार उम्मीदवार घोषित किया. कांग्रेस और बीटीपी के बीच विधानसभा चुनाव को लेकर गठबंधन की हवा निकल चुकी है. महेश वसावा के करीबी चैतर वसावा ने बीटीपी से इस्तीफा दे दिया और आम आदमी पार्टी ने उनको डेडियापाड़ा सीट से प्रत्याशी घोषित किया गया. इसलिए महेशभाई वसावा के लिए डेडियापाड़ा सीट जीतना मुश्किल था, इसलिए उन्होंने अपने पिता की पारंपरिक सीट झाघड़िया से खुद को बीटीपी उम्मीदवार घोषित किया है.
इस घटना के बाद छोटूभाई वसावा के छोटे बेटे दिलीप वसावा और महेशभाई वसावा के बीच दरार पैदा हो गई. संघर्ष चरम पर पहुंच गया, और दिलीप वसावा ने अपने बड़े भाई महेशभाई वसावा पर छोटूभाई वसावा की उपेक्षा करने का आरोप लगाया, उन्होंने कहा कि ST,SC,OBCऔर अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों की लड़ाई बड़ा नुकसान होने वाला है इसलिए मैं बीटीपी और बीटीटीएस के सभी पदों से इस्तीफा देता हूं.
इस इस्तीफे के बाद छोटू वसावा ने निर्दलीय उम्मीदवारी की घोषणा की है. छोटू वसावा ने कहा कि मैं खुद एक पार्टी हूं, मुझे किसी पार्टी की जरूरत नहीं है. सरकार जैसी कोई चीज नहीं है, अन्यथा मोरबी जैसी घटना नहीं होती. पुत्र महेश वसावा के बारे में पूछे जाने पर छोटू ने जवाब देने से इनकार कर दिया.
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