सुरती यानी व्यवसाय में गिनतीबाज लेकिन खर्च करने में मनमौजी इसी परंपरागत छवि का प्रतिबिंब मजुरा में भी दिखाई देता है. अमीर और औद्योगिक माने जाने वाले सूरत के इस इलाके को अतुल्य भारत का प्रतीक भी माना जाता है. यहां मुख्य रूप से आभूषण और वस्त्र व्यवसाय में शामिल मूल निवासी सुरतियों के अलावा, मारवाड़ी, राजस्थानी जैन समुदाय और कढ़ाई काम से जुड़े मराठी और अन्य प्रांत के लोगों की समृद्धि हिस्सेदारी है. आप यहां आकर सूरत के हो जाएंगे. नए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई यह सीट संख्यात्मक और क्षेत्रीय क्षेत्र की दृष्टि से अपेक्षाकृत छोटी हैं.
मिजाज
करीब ढाई लाख मतदाताओं वाले इस निर्वाचन क्षेत्र में इस सीट के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक दो बार चुनाव हो चुके हैं और दोनों बार यहां से युवा भाजपा प्रत्याशी हर्ष संघवी एक लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की है. यह एक ही पार्टी और उम्मीदवार की लोकप्रियता और जनता के समर्थन को दर्शाने के लिए काफी है. यहां दोनों चुनावों के दौरान ऐसा लगा जैसे दूसरी पार्टी या प्रत्याशी मैदान में ही नहीं रहा. स्थानीय लोकप्रिय विधायक इस बार राज्य के सबसे युवा गृह मंत्री के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं.
रिकॉर्ड बुक
साल विजेता पार्टी मार्जिन
2012 हर्ष संघवी बीजेपी 71,556
2017 हर्ष संघवी भाजपा 85,827
कास्ट फैब्रिक
यहां कास्ट फैक्टर बेहद खास है. प्रत्येक समुदाय संख्यात्मक रूप से समान है. जैन और मारवाड़ी समुदायों की संख्या लगभग 40,000, मोढ वणिक समाज की लगभग 25,000 और पाटीदारों की संख्या लगभग 22,000 है. पंजाबियों और सिंधी का अनुपात भी महत्वपूर्ण है. हालाँकि, विशुद्ध रूप से व्यापारिक समुदाय होने के नाते, यहाँ मतदान पैटर्न जाति-आधारित होने के बजाय सत्ता-समर्थक और शासन-समर्थक है. जाति या संप्रदाय के आदेश, फतवे यहां बिल्कुल भी प्रभावी नहीं माने जाते हैं.
समस्या
कपड़ा बाजार जीएसटी की अनियमितता और ऊंची दर से खासा परेशान है. इसके लिए विपक्ष भी मुखर रहा है लेकिन सत्ता पक्ष के मौखिक आश्वासन के बाद यहां आंदोलन तेज होना बंद हो गया है. औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण वायु प्रदूषण की समस्या भी विकराल है. इस संबंध में चुनाव में दिए गए आश्वासनों पर बाद में अमल नहीं किया जाता है.
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
बीजेपी के युवा विधायक और सबसे युवा गृह मंत्री हर्ष सांघवी इस बार भी यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. स्थानीय स्तर पर उनका जनसंपर्क व्यापक है. हर मतदाता को लगता है कि वह अपने हैं. स्थानीय मुद्दों की उनकी समझ और समाधान खोजने के उनके प्रयासों की सराहना की जाती है. अब जब वह गृह मंत्री के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं तो स्वाभाविक रूप से माहौल उनके पक्ष में है.
प्रतियोगी कौन?
कांग्रेस ने यहां कपड़ा कारोबारी बलवंत जैन को मैदान में उतारा है. बलवंत जैन ने GST और विमुद्रीकरण के खिलाफ विरोध के दौरान व्यापारिक समुदाय को होने वाली परेशानी को उठाने में मुखर भूमिका निभाई थी. मारवाड़ी समुदाय के समर्थन वाले कांग्रेस उम्मीदवार मराठी भाषी और उड़ीसा कपड़ा श्रमिकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं.
तीसरा कारक
पूर्व आयकर अधिकारी और भाजपा के सूरत शहर के शीर्ष नेता पी.वी.एस. शर्मा ने दलबदल कर लिया है और अब यहां से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी नेता के तौर पर उन्हें जो समर्थन मिल रहा था, उसकी तस्वीर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार बनने के बाद कहीं नजर नहीं आ रही है. उच्च मध्यवर्गीय क्षेत्र होने के कारण यहां मुफ्त बिजली जैसे ऐलान लोगों को खास आकर्षित नहीं कर रहे हैं.
#बैठकपुराण कतारगाम: भाजपा का गढ़ लेकिन इस बार त्रिकोणीय मुकाबला ने बदला समीकरण