जामनगर को क्रिकेट का मायका कहा जाता है. जामसाहेब रणजी द्वारा पोषित क्रिकेट के प्रति जुनून को जीवित रखते हुए, जामनगर हर पीढ़ी में भारतीय क्रिकेट टीम को प्रतिभाशाली खिलाड़ी प्रदान करता रहा है. जिस क्रिकेट बंगले में रणजी और विनू मांकड अभ्यास करते थे, वह समय बीतने के साथ वीरान हो गया है, लेकिन औद्योगिक कंपनियों के आने के बाद जामनगर की प्रतिभा कई क्षेत्रों में चमक रही है. जामनगर के मूल मिजाज को दर्शाते हुए जामनगर उत्तर की विधानसभा सीट नए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई है. तालुका के नवागाम घेड, महानगरपालिका के पांच वार्ड, जामनगर पोर्ट के बेड़ी सहित गांव इस निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं. कुल 2,18,785 मतदाताओं वाली यह सीट संख्या और क्षेत्रफल दोनों ही लिहाज से छोटी है.
मिजाज
शाही मिजाज के इस शहर का राजनीतिक मिजाज काफी हद तक भाजपा समर्थक रहा है. हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे के खिलाफ, अन्य सभी मुद्दे या नागरिक समस्याएं यहां गौण हो जाती हैं. लेकिन नए परिसीमन के बाद जामनगर उत्तर सीट ने यहां पार्टी के ऊपर व्यक्ति को तरजीह दी और मतदाताओं ने लगातार दो बार धर्मेंद्र सिंह जाडेजा उर्फ हकुभा का समर्थन किया था. हकुभा के दलबदलू होने के बाद भी उन्होंने शानदारी मार्जिन से इस से सीट पर कामयाबी हासिल की थी. हालांकि जामनगर दक्षिण की तरह इस सीट को स्थायी करने की बीजेपी की रणनीति कामयाब होती नजर आ रही है.
रिकॉर्ड बुक
साल विजेता पार्टी मार्जिन
2012 धर्मेंद्र सिंह जाडेजा कांग्रेस 9,448
2017 धर्मेंद्र सिंह जाडेजा बीजेपी 40,963
(जब से यह सीट परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई है, तब से अब तक यहां दो चुनाव हो चुके हैं)
कास्ट फैब्रिक
लगभग 42,000 मुस्लिम मतदाताओं वाली इस सीट को जीतने के लिए भाजपा के लिए ध्रुवीकरण का सहारा लेना अनिवार्य है. इसलिए उम्मीदवार का चयन यहां महत्वपूर्ण हो जाता है. 30,000 क्षत्रिय, 18,000 पाटीदार और 15,000 ब्राह्मण मतदाताओं का वोट बैंक भी गेम चेंजर माना जाता है. हकुभा क्षत्रिय और मुस्लिम समीकरण साधने की वजह से पहली बार विजेता बने थे. दूसरी बार उन्होंने अपने समर्थकों के अलावा भाजपा के प्रतिबद्ध वोट बैंक से अपनी बढ़त में काफी इजाफा किया था.
समस्या
शहर के आर्थिक विकास का खास लाभ शहरी नियोजन की सुविधाओं में दिखाई नहीं देता है. कम्युनिटी हॉल, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स जैसे राज्य सरकार के अनुदान के अलावा यहां की ट्रैफिक समस्या के समाधान के लिए कोई खास काम नहीं किया गया है. मुस्लिम समुदाय के कब्रिस्तान के लिए अधिक जगह की मांग अभी भी लंबित है. जिसकी वजह से मुस्लिम समाज में नराजागी दिखाई दे रही है. पीने योग्य पानी की समस्या गांधीनगर, शांतिनगर, नवागाम घेड़ जैसे क्षेत्रों में व्यापक है.
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
हकुभा ने अपनी व्यक्तिगत लोकप्रियता के आधार पर विभिन्न पार्टियों से दो बार जीत हासिल की थी. उन्होंने दलबदल किया और भाजपा के कैबिनेट मंत्री बने. उसके बाद नो रिपीट थ्योरी लागू होने की वजह से उन्हें कैबिनेट से बाहर कर दिया गया था और अब उनका टिकट भी कट गया है. उच्च न्यायालय में एक पुराने मामले में राहत न मिलने का कारण सामने लाया गया है. लेकिन एक शीर्ष औद्योगिक समूह के विरोध, एक भूमि घोटाले में शामिल होने, आदि जैसे मुद्दों के कारण हकुभा के राजनीतिक जीवन को समाप्त करने का एक ठोस प्रयास सफल हुआ लगता है. अब उनकी जगह क्रिकेटर रवींद्र जाडेजा की पत्नी रीवाबा जाडेजा बीजेपी की उम्मीदवार हैं. साफ-सुथरी छवि, पढ़ी-लिखी और सेलिब्रिटी महिला उम्मीदवार के साथ बीजेपी का इस सीट पर स्वाभाविक रूप से भरोसा है. सेलेब्रिटी स्टेटस के अलावा कास्ट फैक्टर भी उनके फेवर में है.
प्रतियोगी कौन?
हकुभा ही यहां से उम्मीदवार होंगे इस धारण की वजह से कांग्रेस ने यहां बिपेंद्र सिंह जाडेजा को मैदान में उतारा है. चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष बिपेंद्र सिंह के काम और जनसंपर्क को सभी स्वीकार करते हैं. लेकिन रीवाबा के सेलेब्रिटी स्टेटस, मोदी का करिश्मा और हिंदुत्व की चिरस्थायी अपील जैसे मुद्दों के खिलाफ बिपेंद्र सिंह व्यक्तिगत प्रतिष्ठा के बल पर कितना संघर्ष कर पाते हैं, यह देखना बाकी है.
तीसरा कारक
आम आदमी पार्टी ने यहां करशनभाई करमूर को मैदान में उतारा है. आहिर अग्रणी और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में मशहूर करमूर दो दिग्गजों के बीच होने वाले मुकाबले में कोई विशेष प्रभाव नहीं डाल पाएंगे. कुल मिलाकर यहां एकतरफा मुकाबला होने की संभावना है.
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