रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज आरक्षण संशोधन विधेयक पारित हो गया है. इस विधेयक के पारित होने से छत्तीसगढ़ में आरक्षण बढ़कर 76 प्रतिशत हो गया है. अब अनुसूचित जनजाति (एसटी) को 32 फीसदी, अनुसूचित जाति (एससी) को 13 फीसदी, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 फीसदी और सवर्ण गरीब को चार फीसदी आरक्षण मिलेगा. इस विधेयक के पारित होने के साथ ही छत्तीसगढ़ देश में सर्वाधिक आरक्षण प्रणाली वाला राज्य बन गया है.
सितंबर में, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के 2012 के उस आदेश को रद्द कर दिया था जिसमें सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण बढ़ाकर 58 प्रतिशत कर दिया गया था. कोर्ट ने कहा कि 50 फीसदी की सीमा से ज्यादा आरक्षण असंवैधानिक है. इस फैसले के बाद आदिवासी समुदायों के लिए आरक्षण 32 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी कर दिया गया था.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासी आरक्षण के मुद्दे पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का फैसला किया था. बघेल के आग्रह पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने एक व दो दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था. भूपेश बघेल ने आदिवासी समुदायों को आश्वासन दिया कि उनकी सरकार उन्हें 32 प्रतिशत कोटा का लाभ दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पिछली सरकार ने केवल परिपत्र जारी किया था. हमने संभाग और ज़िले के लिए एकमेव प्रावधान किया गया है. ज़िलों में अनुसूचित जाति/जनजाति को आरक्षण जनसंख्या के आधार पर मिलेगा. वहीं ज़िलों में पिछड़े वर्गों को 27 प्रतिशत तक आरक्षण मिलेगा और EWS के लिए प्रदेश स्तर पर जो आरक्षण 4% है, वो तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के लिए जनसंख्या के आधार पर ज़िलों में 4% से लेकर अधिकतम 10% तक आरक्षण मिलेगा.
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