अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हुई झड़प पर बोलते हुए कहा है कि 1962 के बाद भी भारत चीन से अपना क्षेत्र खो रहा है. लेकिन अब पीएम मोदी के आने के बाद नए भारत में ऐसा नहीं होने वाला है. 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के आने के बाद अब चीन को उसी की भाषा में जवाब दिया जा रहा है. क्योंकि सड़क-पुल जैसे बुनियादी ढांचे से लेकर जवानों की संख्या तक की तैयारी कई गुना बढ़ गई है.
एलएसी पर हालात सामान्य
पेमा खांडू गुरुवार को वन इंडिया अवॉर्ड्स समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने मुंबई पहुंचे. अरुणाचल प्रदेश की मूल आदिवासी परंपराओं को पुनर्जीवित करने के लिए अरुणाचल प्रदेश के निवासी तेची गुबिन को इस बार उत्तर पूर्वी राज्यों में काम करने वाली सामाजिक संस्था माई होम इंडिया द्वारा पुरस्कार दिया गया. इस मौके पर अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि मैं उसी जियांग्शी सेक्टर का विधायक हूं, जहां से भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प की खबरें आ रही हैं. मुंबई में आज जियांग्शी सेक्टर के विधायक और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री की उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि वहां स्थिति सामान्य है.
नेहरूजी ने अरुणाचल सीमा पर झंडा फहराने से रोक दिया
आजादी के कुछ समय बाद की गई गलतियों का जिक्र करते हुए खांडू ने कहा कि 1914 में शिमला करार पर हस्ताक्षर हुआ था. जिसमें तवांग समेत पूरे अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा माना गया था. इस समझौते के अनुसार आजादी के बाद सरदार पटेल ने अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर भारतीय ध्वज फहराने के लिए मेजर बाब कटिंग को भेजा. लेकिन जब तक मेजर बाब कटिंग बॉर्डर पर पहुंचे, सरदार पटेल का निधन हो चुका था. इसके बाद जब असम के राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नेहरू से इस आदेश की पुष्टि करनी चाही तो नेहरू ने झंडा फहराने से मना कर दिया और कहा, “हम उस जगह को लेकर क्या करेंगे?” नेहरू की टिप्पणी के बावजूद, मेजर बॉब कटिंग ने अरुणाचल सीमा पर भारतीय ध्वज फहराया, जिससे अरुणाचल आज भारत का हिस्सा बना हुआ है.
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