देहरादून: उत्तराखंड के बनभूलपुरा में रेलवे अतिक्रमण अभियान को लेकर विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है. इस बीच उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को एक खुला पत्र लिखा है, जिसे उन्होंने सोशल मीडिया पर भी शेयर किया है. हरीश रावत ने सीएम से अपील की है कि इस घटना में कानूनी पक्ष से अलग मानवीय दृष्टिकोण से कोई बीच का रास्ता निकाला जाए, उन्होंने यह सवाल भी किया कि अगर 50 हजार से ज्यादा लोगों को हटाया गया तो ये लोग कहां जाएंगे. गौरतलब है कि कांग्रेस के एक स्थानीय विधायक के नेतृत्व में इस घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई है. प्रदर्शनकारियों की तरफ से सलमान खुर्शीद कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ेंगे.
हरीश रावत ने फेसबुक पर सीएम पुष्कर धामी को यह ई-लेटर लिखा है. जिसमें उन्होंने कहा, ‘वर्षों से ढोलक आबादी, वनभूलपुरा जैसी जगहों पर रह रहे लोगों को बेदखल करने का रेलवे प्रशासन और नगर पालिका का फैसला केवल कानूनी पक्षकार नहीं है. यह एक मानवीय पक्ष भी है. हल्द्वानी की कुमाऊं और उत्तराखंड की आर्थिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र है. यहां सामाजिक सद्भाव हमेशा उच्च स्तर पर रहा है. अगर 50 हजार से ज्यादा लोगों को उनके रिहायशी मकानों और झोपड़ियों से निकाल दिया जाए तो वे कहां जाएंगे?
हरीश रावत ने कहा कि पूरे हल्द्वानी और कुमाऊं में अशांति का माहौल फैलेगा. सद्भाव टूट जाएगा और राज्य का मानवीय पक्ष, हमारे नागरिक प्रभावित होंगे. सवाल करेगी प्रदेश की जनता? इस कड़कड़ाती ठंड में आपने 50 हजार लोगों की छत छीन ली, सिर्फ कानूनी पक्ष को देखते हुए या कानून की गलत व्याख्या के आधार पर उनकी रोजी-रोटी खत्म कर दी. इससे हमारे राज्य की छवि पर भी असर पड़ेगा. कुछ लोग आज खामोश हो सकते हैं, लेकिन जब हालात बिगड़ेंगे तो सरकार की अंतरात्मा पर उंगली भी उठाएंगे.
रावत ने आगे कहा, “मैं न्यायिक फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता लेकिन मैं उम्मीद करता हूं कि आप मानवीय दृष्टिकोण से देखेंगे और राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में एक अभिभावक के रूप में अपने कर्तव्य के आधार पर मामले को सुलझाएंगे.” वह उत्तराखंड के नागरिक हैं, उनके प्रति हम सबका मानवीय कर्तव्य है. जो दूसरे प्रश्न से बड़ा है, इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप इस मामले को मानवीय दृष्टिकोण से देखें और लोगों को आश्वस्त करने के लिए हस्तक्षेप करें कि घर नहीं टूटेगा और अगर टूटेगा तो आपको समायोजित करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से तोड़ा जाएगा.
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने रेलवे की जमीन पर कथित अतिक्रमण हटाने के लिए हल्द्वानी में 4 हजार से अधिक मकानों को गिराने का आदेश दिया है. रेलवे के कार्रवाई के पहले स्थानीय लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है. पीड़ित अपने पुनर्वास की मांग कर रहे हैं और सरकार से भेदभाव नहीं करने की अपील कर रहे हैं. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच गया है. कांग्रेस के एक स्थानीय विधायक की अगुवाई में हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
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