नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक जनवरी के मध्य में होने जा रही है. अब संभावना जताई जा रही है कि मौजूदा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है. हालांकि, पार्टी की ओर से इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है. जिसके बाद सवाल उठने लगा है कि अगर नड्डा नहीं तो बीजेपी का कमान किसे सौंपा जा सकता है.
तीन साल का कार्यकाल 20 जनवरी को खत्म हो रहा है
नड्डा ने जुलाई 2019 में पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में काम करना शुरू किया था. उसके बाद 20 जनवरी 2020 को उन्हें पूर्णकालिक पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई थी. अब उनका तीन साल का कार्यकाल 20 जनवरी को खत्म हो रहा है. संभावना है कि पार्टी उनका कार्यकाल बढ़ा सकती है.
क्या कहता है नियम?
2012 में भाजपा ने नितिन गडकरी के कार्यकाल को लगातार दूसरी बार बढ़ाने के लिए संविधान में संशोधन किया था, जिसके पहले एक भाजपा अध्यक्ष 3 साल का केवल एक कार्यकाल की जिम्मेदारी संभाल सकता था. भाजपा संविधान के अनुच्छेद 21 में संशोधन के बाद यह कहा गया कि एक योग्य सदस्य 3 साल की लगातार दो बार पार्टी अध्यक्ष का पद संभाल सकता है. हालांकि इस दौरान बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष वेकैया नायडू ने स्पष्ट किया कि इसका मतलब यह नहीं है कि कोई भी अध्यक्ष अपने दम पर दूसरे कार्यकाल के लिए विस्तार पा सकता है.
इन नामों पर हो रही चर्चा
कयास लगाए जा रहे हैं कि शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी अध्यक्ष बन सकते हैं. धर्मेंद्र प्रधान को पार्टी में संकटमोचक के तौर पर देखा जा रहा है. पीएम मोदी कई बार उनको अहम जिम्मेदारी सौंप चुके हैं. जब सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के लिए संघर्ष कर रही थी, तब तत्कालीन शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल को हटाकर धर्मेंद्र प्रधान को जिम्मेदारी दी गई थी.
इस नाम के अलावा पार्टी राज्यसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के नाम पर भी विचार कर सकती है. साल 2019 में मौजूदा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बाद यादव अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे लेकिन पार्टी ने नड्डा को जिम्मेदारी सौंप दी थी. खास बात यह है कि भूपेंद्र यादव राजस्थान से आते हैं और इस साल राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस राज्य में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं.