आशावली, कर्णावती, अहमदाबाद और आज के आधुनिक अमदावाद तक के सफर में यदि किसी क्षेत्र ने दशकों से अपनी पहचान बरकरार रखी है, तो वह अमराईवाड़ी है. सात सौ साल पहले अहमदाबाद के बारे में अल बिरूनी की रिपोर्ट में उल्लेख है कि खंभात-अहमदाबाद, सूरत-अहमदाबाद के बीच माल परिवहन करते समय अहमदाबाद के कुछ हिस्सों में बादाम के पेड़ों से ढके क्षेत्र में गाड़ियाँ रुकती थीं. यहां बड़ी संख्या में कारीगर थे जो गाड़ियों के पहियों की मरम्मत करते थे. कालांतर में जैसे ही आधुनिक अहमदाबाद के शुरूआत में कपड़ा मिलें फली-फूलीं, यह क्षेत्र मिल श्रमिकों और मिल उद्योग के सहायक कारखानों के परिसर के रूप में विकसित हुआ. उत्तर गुजरात के अलावा देश के अन्य प्रांतों से रोजगार की तलाश में आए लोग यहां आकर बस गए और आज का अमराईवाड़ी इलाका बन गया. विधानसभा सीट के रूप में पहले यह क्षेत्र कांकरिया सीट में स्थित था. फिर 2008 के परिसीमन के बाद इसे मणिनगर सीट से अलग कर दिया गया. इस निर्वाचन क्षेत्र के तहत नगर पालिका के तीन वार्डों के कुल 2,88,268 मतदाता पंजीकृत हैं.
मिजाज
पचरंगी क्षेत्र वाली अमराईवाड़ी में एक बड़ी प्रवासी आबादी है, बावजूद इसके यहां गुजराती राजनीतिक मनोदशा प्रबल है. नए परिसीमन के बाद हुए दोनों चुनावों में यहां बीजेपी प्रत्याशी ने अच्छे अंतर से जीत दर्ज की है. उत्तर भारतीयों का प्रभुत्व है इसलिए यहां हिंदुत्व और विकास के समीकरण को भाजपा आसानी से क्रियान्वित कर सकती है. हालांकि, मध्यम वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग की आबादी की वजह से यहां मुद्दे और मूड बदलते देर नहीं लगता है. इसका उदाहरण उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी की जीत का अंतर साबित करता है.
रिकॉर्ड बुक
साल विजेता पार्टी मार्जिन
2012 हसमुख पटेल बीजेपी 65,425
2017 हसमुख पटेल बीजेपी 49,732
2019 जगदीश पटेल बीजेपी 5,528
कास्ट फैब्रिक
यहां लगभग 60,000 प्रवासी रहते हैं जिनमें उत्तर भारतीय का प्रमाण सबसे ज्यादा है. दलितों की संख्या भी लगभग 55,000 है. पाटीदारों की संख्या लगभग 35,000 है जिसमें उत्तर गुजरात के कड़वा पाटीदारों का प्रभुत्व है. यहां से ज्यादातर राजनीतिक दल पाटीदार उम्मीदवारों को चुनते हैं. लगभग एक लाख ओबीसी मतदाताओं को एक संयुक्त वोट बैंक नहीं माना जाता है क्योंकि वे विभिन्न जातियों के हैं. यहां स्थायी सूत्र यह है कि पाटीदार आर्थिक और सामाजिक दबदबे के जरिए प्रवासी लोगों का वोट हासिल कर लेते हैं.
समस्या
हालांकि यह अहमदाबाद का पुराना इलाका है, लेकिन एलिसब्रिज, नारनपुरा, साबरमती जैसे चकाचौंध का नामों निशान नहीं दिखता है. संकरी सड़कें, घने निर्माण, बेतरतीब ट्रैफिक, असंगठित पार्किंग के कारण यह इलाका कभी भी रिहायशी के लिए पहली पसंद नहीं हो सकता. इसके अलावा बारिश के सीजन में जलभराव की समस्या भी विकराल हो गई है. अमराईवाड़ी पूरे अहमदाबाद में उच्चतम अपराध दर के लिए भी कुख्यात है. यहां बड़े-बड़े देशी-विदेशी शराब तस्करों के सक्रिय होने की शिकायतें किसी से अनजान नहीं हैं.
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
दो बार के विधायक हसमुख पटेल के सांसद बनने के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी जगदीश पटेल अपेक्षाकृत कम अंतर से जीते थे. इसलिए इस बार बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया और डॉक्टर हसमुख पटेल को मैदान में उतारा है. स्थानीय चिकित्सक के रूप में उनकी अच्छी प्रतिष्ठा है. हसमुख पटेल को अमित शाह का विश्वासपात्र माना जाता है. चूंकि इस सीट के लिए 46 दावेदार हैं, इसलिए असंतोष का स्तर भी व्यापक है. हसमुख पटेल का अभियान भाजपा के मजबूत संगठन, सत्तारूढ़ पार्टी के रूप में उनके कद और उनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा पर निर्भर है.
प्रतियोगी कौन?
कांग्रेस ने इस सीट पर पुराने प्रत्याशी धर्मेंद्र शांतिलाल पटेल को फिर से उतारा है. उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार को कड़ी टक्कर देने की वजह से इस बार भी धर्मेंद्र पटेल के पक्ष में अच्छा माहौल बनता नजर आ रहा है. चुनाव के बिना भी वह लगातार सक्रिय रहने की वजह से बीजेपी प्रत्याशी पर भारी पड़ रहे हैं. दलित वोटरों से उनको काफी उम्मीद है. लेकिन वह प्रवासी भारतीयों और ओबीसी से कितना वोट ला सकते हैं यह एक बड़ा सवाल है.
तीसरा कारक
आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार विनय गुप्ता स्थानीय स्तर पर सक्रिय और लोकप्रिय व्यक्ति हैं. विनय गुप्ता, हालांकि विभिन्न प्रवासी संगठनों के माध्यम से सक्रिय हैं, केवल केजरीवाल के नाम और आप की गारंटी योजनाओं के साथ पाटीदार, दलित, ओबीसी मतदाताओं से अपील करने की कोशिश कर रहे हैं. यहां अगर उनको पांच हजार से ज्यादा वोट मिलते हैं तो यह बीजेपी प्रत्याशी के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते हैं.
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