कभी अमरेली जिले में और अब गिर सोमनाथ में शामिल यह तालुका अपनी तटीय समृद्धि के कारण औद्योगिक क्षेत्र का प्रभुत्व रखता है. जब राज्य में गिनी चुनी चीनी मिलें थीं, तब कोडीनार अग्रणी था. उसके बाद चूना पत्थर के विशाल भंडार के मिलने के बाद अंबुजा सीमेंट संयंत्र आया. अपने औद्योगिक विकास के बावजूद, कोडीनार अभी भी खनिज चोरी और माफिया के कारण चर्चा में रहता है. विधानसभा में सीट संख्या 92 के तहत यह सीट सामान्य वर्ग से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गई है. इस निर्वाचन क्षेत्र में कुल 2,31,962 मतदाता पंजीकृत हैं, जिसमें कोडीनार के अलावा ऊना तालुका के कई गांव शामिल हैं.
मिजाज
कोडीनार के राजनीतिक मिजाज का सीधा संबंध औद्योगिक विकास से रहा है. अस्सी के दशक तक, यहां राजनीतिक जागरूकता न के बराबर थी लेकिन अंबुजा सीमेंट के आगमन के साथ, यहां परिवहन, खनन और रसद व्यवसायों के प्रसार ने भी स्थानीय लोगों के बीच तनाव बढ़ा दिया, जिसका राजनीतिक मूड पर सीधा प्रभाव पड़ा. 1995 से 2007 तक यहां बीजेपी लगातार सत्ता में थी. इस क्षेत्र में दबंग छवि रखने वाले दीनू बोघा सोलंकी तीन बार यहां से जीत दर्ज कर चुके हैं. नए परिसीमन के बाद अनुसूचित जाति के लिए सीट आरक्षित होने के बाद कांग्रेस को यहां वापसी करने का मौका मिला है. फिलहाल दोनों पार्टियों का यहां पर बराबर का असर दिखा रही है. बावजूद इसके दीनू बोघा सोलंकी का झुकाव निर्णायक माना जाता है.
रिकॉर्ड बुक
साल विजेता पार्टी मार्जिन
1998 दीनू बोघा सोलंकी बीजेपी 19449
2002 दीनू बोघा सोलंकी भाजपा 2060
2007 दीनू बोघा सोलंकी भाजपा 32034
2009 बी.डी. करशनभाई कांग्रेस 7942
2012 जेठाभाई सोलंकी बीजेपी 8477
2017 मोहनलाल वाला कांग्रेस 14535
कास्ट फैब्रिक
संख्या और प्रभाव दोनों के मामले में यहां कारडिया क्षत्रिय समुदाय का दबदबा है. प्रतापसिंह मोरी, अर्शीभाई कमलिया, धीरसिंह बारड़, लक्ष्मणसिंह परमार और दीनू बोघा जैसे कारडिया समाज के नेताओं ने इस बैठक का प्रतिनिधित्व किया है. इसके अलावा अहीर, कोली और दलित मतदाता भी काफी संख्या में हैं. इस समय दीनू बोघा के प्रभाव से कारडिया समुदाय का झुकाव बीजेपी की ओर है. लेकिन बीते कुछ वक्त से कांग्रेस ने यहां कोली और दलित मतदाताओं के बीच एक महत्वपूर्ण वोट बैंक बनाया है. अहीर वोटरों को रिझाने के लिए कांग्रेस पड़ोस के तालाला, राजुला से अहीर विधायकों की मदद ले सकती है.
समस्या
औद्योगिक विकास के परिणाम कोडीनार शहर को शायद ही मिला हो. शहरी इलाकों की गंदगी और सड़कों की हालत गांवों से भी बदतर है. हाईवे पर भारी परिवहन की आवाजाही के कारण उपद्रव है. सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं मानक के अनुरूप नहीं हैं. उच्च शिक्षण संस्थानों का अभाव. चूंकि ऊना, वेरावल जैसे आसपास के शहरों में भी अपर्याप्त सुविधाएं हैं, इसलिए पूरा इलाका शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए जूनागढ़ पर निर्भर है. मिट्टी की लवणता बढ़ रही है जिससे कृषि योग्य भूमि की मात्रा खतरनाक रूप से कमी आ रही है.
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
कांग्रेस विधायक मोहन माला का भाजपा में शामिल होने की अफवाहें अक्सर आती रही हैं, लेकिन मोहनभाई वाला अभी तक हिले नहीं हैं. इस बार भी उनका टिकट पक्का माना जा रहा है. हालांकि आंतरिक स्तर पर उन्हें बीजेपी से आए दिग्गज दलित नेता जेठाभाई सोलंकी की चुनौती का भी सामना करना पड़ रहा है. अगर वे जेठाभाई को मना लें तो उनका सफर आसान हो सकता है.
प्रतियोगी कौन?
भाजपा के जेठाभाई सोलंकी 2012 में जीत हासिल की थी लेकिन उसके बाद उनका दीनू बोघा के साथ अनबन के कारण वह भाजपा को अलविदा कर दिया था. उसके बाद से बीजेपी को अब भी आरक्षित सीट पर मजबूत उम्मीदवार की तलाश है. यह देखते हुए कि कांग्रेस का वोट बैंक मजबूत हो रहा है, भाजपा उम्मीदवार को पूरी तरह से दीनू बोघा सोलंकी के समर्थन पर निर्भर रहना होगा.
तीसरा कारक
आम आदमी पार्टी ने यहां स्थानीय दलित नेता वालजीभाई मकवाना को अपना उम्मीदवार बनाया है. बहुचर्चित ऊना कांड के दौरान काफी सक्रिय रहने वाले वालजी मकवाना यहां के एक लोकप्रिय और मुखर नेता हैं, उनकी पकड़ कोडीनार शहर में काफी मजबूत है. जिसकी वजह से भाजपा की चिंता बढ़ गई है. हालांकि, वालजीभाई की मौजूदगी इस मामूली मार्जिन की जीत-हार वाली सीट पर कड़े मुकाबले की संभावना बढ़ गई है.
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