1990-2010 से बापूनगर के विकास के बाद हीरा उद्योग में उछाल के कारण, सौराष्ट्र निवासियों, प्रवासियों ने इस क्षेत्र को एक आवासीय क्षेत्र के रूप में चुना. पुराने निकोल गांव को अब पहचानना भी मुश्किल हो रहा है. नारोल-नरोडा हाईवे और सरदार पटेल रिंग रोड के बीच स्थित होने के कारण निकोल कनेक्टिविटी के मामले में भी एक प्रमुख स्थान बन गया है. गांधीनगर बहुत करीब है, इसे अहमदाबाद का कस्बा भी कहा जाता है और चूंकि रिंग रोड और एक्सप्रेसवे भी करीब हैं, इसलिए संभावना है कि निकोल एक आवासीय क्षेत्र के रूप में बहुत तेजी से विकसित होगा और अब बापूनगर या ठक्कर बापानगर से भी आगे निकल जाएगा. नए परिसीमन के बाद, नरोडा सीट का कुछ हिस्सा जोड़कर और पुरानी रखियाल सीट को रद्द करके निकोल विधानसभा सीट अस्तित्व में आई. इस सीट के अंतर्गत अहमदाबाद के तीन वार्ड शामिल हैं. भौगोलिक दृष्टि से यह निर्वाचन क्षेत्र बहुत बड़ा नहीं है. यहां कुल 2,31,586 मतदाता पंजीकृत हैं.
मिजाज
इस नवनिर्मित सीट पर दो चुनाव हो चुके हैं और दोनों में बीजेपी के जगदीश पंचाल (विश्वकर्मा) विजयी हुए हैं. यहां मिश्रित राजनीतिक मिजाज है क्योंकि अधिकांश आबादी सौराष्ट्र, गैर गुजराती और उत्तर गुजरात से है. पिछले चुनाव में यहां पाटीदार आंदोलन का जोरदार असर देखा गया था. जिससे बीजेपी प्रत्याशी की बढ़त आधी रह गई. इस बार पाटीदार आंदोलन के अभाव में बड़े पैमाने पर भाजपा समर्थक माहौल की उम्मीद थी. लेकिन अब स्थिति दिलचस्प हो गई है क्योंकि बीजेपी ने उम्मीदवार को दोबारा उतारा है.
रिकॉर्ड बुक
साल विजेता पार्टी मार्जिन
2012 जगदीश पंचाल बीजेपी 48,712
2017 जगदीश पंचाल बीजेपी 24,880
कास्ट फैब्रिक
इस निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 45,000 पाटीदार सबसे महत्वपूर्ण हैं. इसके बाद 40-42 हजार मुस्लिम वोटरों को अहम माना जा रहा है. लेकिन 25,000 क्षत्रिय और 25,000 ओबीसी मतदाताओं का संयोजन स्थानीय स्तर पर दलित-मुस्लिम समीकरण पर भारी पड़ रहा है. आसपास की सीटों पर पाटीदारों को टिकट देकर ओबीसी प्रत्याशी उतारने की रणनीति भी कारगर है.
समस्या
नया विकसित क्षेत्र होने के कारण यहां हर जगह अधोसंरचना का अभाव देखा जाता है. आंतरिक सड़कों की बेहद खराब स्थिति, चारों ओर लगातार खुदाई और वर्षा जल निकासी की समस्या है. इसके अलावा स्वच्छता, अवैध निर्माण जैसे नगरपालिका स्तर के मुद्दे भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं.
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
अहमदाबाद शहर में भाजपा ने इस बार सिर्फ तीन मौजूदा विधायकों को रिपीट किया है. जिसमें जगदीश विश्वकर्मा का नाम भी शामिल है. उनके खिलाफ स्थानीय स्तर पर जनसंपर्क नहीं होने की व्यापक शिकायतें मिली हैं. उन्होंने निकोल के मुद्दों को हल करने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई है. वह भाजपा की आंतरिक राजनीति में उलझे हुए हैं बावजूद इसके उनको रिपीट किया गया है. जगदीश पंचाल शहर बीजेपी अध्यक्ष रह चुके हैं इसलिए संगठन को साथ रख सकते हैं.
प्रतियोगी कौन?
कांग्रेस ने इस सीट पर रंजीत सिंह बारड़ को उतारकर क्षत्रिय, दलित, मुस्लिम समीकरण बनाने की कोशिश की है. स्थानीय स्तर पर रंजीत बारड़ की छवि साफ-सुथरी और विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में अग्रणी की रही है. हालांकि ज्यादातर सीट की तरह यहां भी संगठन की कमी ने कांग्रेस को बाधित किया है. हालांकि इस बात की पूरी संभावना है कि मौजूदा विधायक के खिलाफ असंतोष कांग्रेस के लिए वरदान साबित होगा.
तीसरा कारक
आम आदमी पार्टी ने यहां अशोक गजेरा को अपना उम्मीदवार बनाया है. गजेरा जातिवादी समीकरण में भी फिट बैठते हैं क्योंकि सौराष्ट्र के अमरेली जिले के पाटीदारों की यहां बड़ी आबादी है और आम आदमी पार्टी की ओर सहज झुकाव भी है. ऐसे में आप इस सीट पर गेम चेंजर साबित हो सकती हैं. जितना आप का प्रत्याशी जितना वोट हासिल करेगा उतनी ही भाजपा की मार्जिन कम होगी.
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