सूरत जिले की चोर्यासी विधानसभा सीट अहमदाबाद के दसक्रोई के समान एक बहुत विस्तृत बेल्ट में फैला हुआ क्षेत्र है. यह सीट सामान्य वर्ग की है. लगभग डेढ़ या दो विधानसभा सीटों लिए पर्याप्त 5,47,193 की औसत मतदाता संख्या के साथ उम्मीदवारों को भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. चोर्यासी तालुका के अलावा सूरत के कुछ हिस्से भी इस सीट में शामिल हैं. चूंकि यहां शहरी और ग्रामीण दोनों तरह के मतदाता हैं, इसलिए समस्या, मांग, भावना कई तरह से देखा जाता है.
मिजाज
ज्यादातर बीजेपी को भारी अंतर से जीताने वाली यह सीट प्रत्याशी से ज्यादा पार्टी के प्रति समर्पित मानी जाती है. इसे गुजरात में बीजेपी की सुरक्षित सीटों में से एक माना जाता है. इस सीट से वरिष्ठ नेता नरोत्तम पटेल चार बार निर्वाचित हुए थे. उसके बाद राजेंद्र पटेल उर्फ राजा पटेल इस क्षेत्र में काफी लोकप्रिय थे. उनकी मृत्यु के बाद हुए उपचुनाव में उनकी बेटी झंखनाबेन पटेल को भाजपा ने मैदान में उतारा था. 1985 से लगातार इस सीट से हारते हुए कांग्रेस ने यहां स्थानीय स्तर पर संगठन और जनाधार लगभग खो दिया है जिसकी वजह से भाजपा को यहां मार्जिन की चिंता होती है.
रिकॉर्ड बुक
साल विजेता पार्टी मार्जिन
1998 नरोत्तमभाई पटेल भाजपा 1,47,142
2002 नरोत्तमभाई पटेल भाजपा 1,10,706
2007 नरोत्तमभाई पटेल भाजपा 3,46,940
2012 राजेंद्रभाई पटेल भाजपा 67,638
2016 झंखनाबेन पटेल भाजपा 45,438
2017 झंखनाबेन पटेल भाजपा 1,10,819
कास्ट फैब्रिक
नए परिसीमन से पहले इस सीट पर कोली समुदाय का काफी दबदबा था, अब यहां बड़ी संख्या में प्रवासी आबादी है. कोली के अलावा पाटीदार, ओबीसी क्षत्रिय, हलपति, माछी और दलित समुदाय भी अच्छी संख्या में मौजूद हैं. लेकिन अब भी कोली समुदाय का दबदबा है. यहां ज्यादातर कोली प्रत्याशी की जीत होती है. कोली बहुल सीट होने के बावजूद सौराष्ट्र के कोली समुदाय से कोई खास तालमेल नहीं है.
समस्या
कृषि और खेत मजदूरी इस निर्वाचन क्षेत्र के प्रमुख रोजगार क्षेत्र हैं. यहां की मिट्टी बहुत उपजाऊ है और पानी प्रचुर मात्रा में है, जिससे धान की भरपूर फसल पैदा होती है. इसके अलावा गन्ना और केला भी अच्छे अनुपात होता है. सरकारी कोल्ड स्टोरेज की मांग लंबे समय से लंबित है. भूमि सुधार और पुराने शर्त की भूमि कानूनों को समाप्त करने की मांग भी हमेशा से खड़ी रही है.
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
यहां के लोकप्रिय विधायक राजा पटेल की बेटी झंखनाबेन उपचुनाव और उसके बाद हुए चुनावों में भारी बहुमत से जीती हैं. अपने पिता की तरह, उनके भी व्यापक जनसंपर्क हैं. कयास लगाए जा रहे थे कि भूपेंद्र पटेल की कैबिनेट में उन्हें जगह मिलेगी, तीसरे कार्यकाल में उनका टिकट पक्का है और अगर बीजेपी की सरकार बनती है तो कैबिनेट में भी दावेदारी मजबूत हो सकती है.
प्रतियोगी कौन?
ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने यहां जीतने वाले उम्मीदवार की तलाश छोड़ दी है. कोली समुदाय के बीच कांग्रेस का कोई सार्वभौमिक चेहरा नहीं है और जब दूसरे समुदाय के उम्मीदवार को टिकट दिया, तो कोली समुदाय के सामूहिक वोट के कारण भाजपा को भारी जीत मिली. इसे देखते हुए कांग्रेस यहां बीजेपी के मार्जिन को कम करने के अलावा कुछ नहीं कर पा रही है.
तीसरा कारक
आम आदमी पार्टी ने यहां प्रकाश कांट्रेक्टर को प्रत्याशी घोषित किया है लेकिन स्थानीय स्तर पर उनकी कोई खास पहचान नहीं है. निर्वाचन क्षेत्र भौगोलिक रूप से इतना बड़ा है कि जब तक यह पता चलेगा कि प्रकाश ठेकेदार कौन हैं, मतदान समाप्त हो जाएगा. आम आदमी पार्टी ने यहां सूरत शहर जैसा माहौल बनाने की कोशिश की है लेकिन चुनाव तक न तो संगठन और न ही बूथ प्रबंधन को मजबूत कर पाएगी ऐसा लगता नहीं हैं.
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