भरूच जिले की वागरा विधानसभा सीट संख्या 151 सामान्य श्रेणी में आती है. गुजरात में सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले जिलों में से एक होने के नाते, भरूच के इस निर्वाचन क्षेत्र में भी मुस्लिम बहुमत है. दो शताब्दी पहले, राजपिपला के गोहिल वंश के राजघरानों को वागरा के नर्मदा की ओर एक बड़ा भूमि अनुदान प्राप्त हुआ था. चूंकि उन्होंने उस भूमि, खेती आदि के रखरखाव के लिए क्षत्रियों को यहां बसाया था, हालांकि यहां कोई क्षत्रिय राज्य नहीं है, फिर भी क्षत्रियों की आबादी महत्वपूर्ण है. वागरा गांव और तालुका विकास से कोसों दूर प्रतीत होता है. इस सीट के तहत वागरा के अलावा भरूच तालुका के 38 गांवों के साथ कुल 2,17,862 मतदाता पंजीकृत हैं.
मिजाज
क्षेत्रफल और आबादी की दृष्टि से वागरा एक छोटी सीट है, लेकिन इसका जातिगत पहलू और राजनीतिक मिजाज विशिष्ट है. पिछले कुछ सालों से बीजेपी ने इस सीट पर अपना प्रभाव बढ़ाया है, जिसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. एक दशक पहले बीजेपी को यहां पैर रखने की भी जगह नहीं मिलती थी. लेकिन अब विभिन्न राजनीतिक कारकों के कारण, भाजपा ने जमीन हासिल कर ली है. बेशक, स्थानीय विकास की दृष्टि से यहां कई संभावनाएं हैं.
रिकॉर्ड बुक
साल विजेता पार्टी मार्जिन
1998 इकबाल पटेल कांग्रेस 26439
2002 रशीदाबेन पटेल कांग्रेस 1183
2007 इकबाल पटेल कांग्रेस 4330
2012 अरुण सिंह राणा भाजपा 14318
2017 अरुण सिंह राणा भाजपा 2628
कास्ट फैब्रिक
भरूच जिले की तरह, वागरा तालुका में भी मुस्लिम बहुल आबादी है. 35,000 मुस्लिम, 23,000 आदिवासी और 18 से 20 हजार क्षत्रिय यहां गेम चेंजर माने जाते हैं. इसके अलावा कोली, माछी, भील की संख्या भी उल्लेखनीय है. मुस्लिम बहुल होने के कारण इस सीट पर मुस्लिम नेता जीतते रहे हैं. लेकिन हरिसिंह महिडा जैसे नेता के कारण क्षत्रिय नेतृत्व को भी यहां पर्याप्त अवसर मिल रहा है.
समस्या
उच्च शिक्षा के लिए सरकारी कॉलेजों और रोजगार के लिए स्थानीय स्तर पर मध्यम या लघु उद्यमों की आवश्यकता अभी तक पूरी नहीं हुई है. जीआईडीसी चरण की मांग भी अभी तक पूरी नहीं हुई है. कृषि के अलावा, स्थानीय रोजगार के अवसर बहुत कम हैं, इसलिए भरूच पर निर्भर रहना पड़ता है. समुद्र के प्रभाव से मिट्टी की उर्वरा शक्ति लगातार कम होती जा रही है. लेकिन भूमि सुधार या समुद्र की प्रगति को रोकने के प्रयास नगण्य हैं.
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
दो बार से बीजेपी प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल कर रहे अरुण सिंह राणा की इलाके में दबदबा है. मुस्लिम बनाम अन्य सभी समुदाय ऐसी छवि बनाने में अपने कौशल के कारण जीत को संभव बना सकें हैं. हालांकि पिछला चुनाव उन्होंने कैसे जीता इसका एक कथित वीडियो वायरल होने के बाद अरुण सिंह के अलावा बीजेपी की भी हालत खस्ता हो गई थी. संभावना जताई जा रही है कि इस बार अरुण सिंह की पुनरावृत्ति नहीं होगी. मारुतीसिंह अटोदरिया समेत कई नेता उनकी जगह के दावेदार माने जा रहे हैं. वागरा तालुका पंचायत में भाजपा का दबदबा होना भी भाजपा उम्मीदवार की मदद कर सकता है.
प्रतियोगी कौन?
इकबाल पटेल इस क्षेत्र के दिग्गज नेता माने जाते हैं. एक समर्पित कांग्रेस नेता के रूप में मुस्लिम समुदाय के अलावा अन्य समुदायों में भी उनकी अच्छी पहुंच है. दो बार वह खुद और एक बार उनके परिवार ने इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है. हालांकि इस बार इकबाल पटेल परिवार के अलावा याकूब गुरजी और मोहम्मद पटेल भी मुख्य दावेदार माने जा रहे हैं.
तीसरा कारक
आम आदमी पार्टी के करीबी और स्थानीय स्तर पर अच्छा प्रभाव रखने वाले मनहर परमार का नगर निकाय चुनाव में बड़ा नाम है. उनका आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार बनने की संभावना है. हालांकि उनके द्वारा भाजपा को ज्यादा नुकसान पहुंचाने की आशंका स्थानीय स्तर पर जताई जा रही है.