अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय ने विपुल चौधरी की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी है. हाईकोर्ट ने कहा कि यह एक गंभीर अपराध है. विपुल चौधरी के सीए शैलेश पारिख को कल जमानत दे दी गई थी.
दूधसागर डेयरी के पूर्व चेयरमैन विपुल चौधरी भ्रष्टाचार के एक मामले में जेल की हवा खा रहे हैं. विपुल चौधरी ने गुजरात हाईकोर्ट में नियमित जमानत की अर्जी दाखिल की थी जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. विपुल चौधरी के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि उनके खिलाफ राजनीतिक बदले के तहत कार्रवाई की गई है. विपुल चौधरी के वकील ने कहा कि विधानसभा चुनाव आने पर राजनीतिक दबाव में मामला दर्ज किया गया है. यह भी प्रस्तुत किया गया कि वर्ष 2015 में अध्यक्ष पद से मुक्त होने के बाद सात साल की देरी के बाद दर्ज की गई शिकायत निराधार है. राज्य सरकार ने याचिका का विरोध किया और अदालत को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा प्राप्त प्रथम दृष्टया साक्ष्य से अवगत कराया गया. एसीबी ने विपुल चौधरी के खिलाफ कथित तौर पर 300 करोड़ रुपये का घोटाला करने का मामला दर्ज किया है.
गौरतलब है कि अर्बुदा सेना ने विपुल चौधरी के समर्थन में गांव-गांव रैली और सम्मेलन का आयोजन किया है. इसी बीच 20 अक्टूबर को जेल भरो आंदोलन भी हुआ, जिसके बाद अर्बुदा सेना के कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया गया था.
अर्बुदा सेना ने सरकार को दी चुनौती
उत्तर गुजरात में 10 से 20 अक्टूबर के बीच अर्बुदा सेना की ओर से विपुल चौधरी की पगड़ी लेकर गांव-गांव सभाएं और रैलियां की गईं. मेहसाणा के खेरालू के डभाड़ गांव में भी 12 अक्टूबर को आंजना चौधरी समाज द्वारा हनुमाननगर में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. विपुल चौधरी को रिहा करने की मांग को लेकर चौधरी समाज ने सरकार को चुनौती दी है. अर्बुदा सेना के प्रवक्ता हरजीत चौधरी ने कहा कि इन तमाम विरोध प्रदर्शनों के बाद भी अगर सरकार हमारी बात को स्वीकार नहीं करती है तो चौधरी समुदाय चुनाव में अपनी ताकत दिखाएगा.
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