नई दिल्ली: मोरबी में पुल हादसे को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकर नारायण और एसजी तुषार मेहता की दलीलों को सना, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आवेदक इस मामले में किसी भी स्तर पर सुप्रीम कोर्ट में आवेदन कर सकता है. मोरबी पुल हादसे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लगातार निगरानी के जरिए यह सुनिश्चित किया जाए कि ऐसी घटना न हो. हाईकोर्ट को इस मामले में सुनवाई जारी रखनी चाहिए.
इस मामले की सुनवाई गुजरात हाई कोर्ट कर रहा है. हाईकोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया है और मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी. हाईकोर्ट हर सप्ताह विभिन्न पहलुओं पर नजर रख रहा है. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पीड़ित पक्ष को मुआवजे के तौर पर एक निश्चित राशि दी जाए. कई अन्य पहलू पर भी ध्यान रखने की जरूरत है और मामले की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए. याचिकाकर्ता ने कहा कि नगर पालिका और मरम्मत करने वाली कंपनी की जिम्मेदारी को लेकर भी कार्रवाई की जाए.
स्वतंत्र जांच की मांग
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में सरकार का पक्ष भी सुना जाना चाहिए. सीजेआई ने कहा कि मामला हाईकोर्ट में लंबित है. वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए राज्य, राज्य मानवाधिकार आयोग को पक्षकार बनाते हुए तीन आदेश पारित किए. वकील ने कहा कि लोगों की मौत की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए. क्योंकि इस घटना में सरकार और अधिकारियों को बचाया जा रहा है. मोरबी कांड पर सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गई हैं. एक वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर किया गया था और अन्य दो मृतक के रिश्तेदार की ओर से दाखिल की गई है. यह लोग पुल गिरने की स्वतंत्र जांच और उचित मुआवजे की मांग कर रहे है.
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