नई दिल्ली: आरबीआई ने रेपो रेट में 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी की है. इससे साफ है कि अब लोन भी महंगा हो जाएगा और लोगों पर ज्यादा ईएमआई भरने का दबाव होगा. यह बैंकों पर निर्भर करेगा, इसी के साथ रेपो रेट बढ़कर 6.25 फीसदी हो गया है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार, वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और देश निवेश के लिए एक आकर्षक स्थान है. शक्तिकांत दास ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में लगातार अनिश्चितता बनी हुई है. गरीब भोजन की कमी और उच्च ईंधन की कीमतों से सबसे अधिक प्रभावित हैं.
दास ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक महंगाई दर ऊंची रही है. शक्तिकांत दास ने कहा कि नीतिगत दरों पर उदार रुख को वापस लेने के लिए मौद्रिक नीति समिति के रुख को बनाए रखा गया है. उनका कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था लड़ाकू है. वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के बीच भारत दुनिया के लिए उम्मीद की किरण के रूप में अनुकरणीय है. आरबीआई गवर्नर का कहना है कि रेपो रेट में 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी का फैसला बाजार की उम्मीदों के अनुरूप लिया गया है.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मीडिया से बातचीत करते हुए आगे कहा कि रेपो रेट में 0.35% की बढ़ोतरी हुई, 0.35% बढ़ाकर 6.25 % हुआ. स्टैंडिग डिपोजिट फैसिलिटी(SDF रेट) को 6% और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी(MSF रेट) और बैंक रेट को 6.5% तक एडजस्ट किया गया है. अगले 12 महीनों में मुद्रास्फीति दर 4% से ऊपर रहने की उम्मीद है.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि FY23 के लिए CPI मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान 6.7% पर बरकरार है. एफडीआई प्रवाह अप्रैल से अक्टूबर 2022 में बढ़कर 22.7 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले साल की इसी अवधि में 21.3 अरब डॉलर था. अप्रैल-अक्टूबर के दौरान भारतीय रुपए में वास्तविक रूप से 3.2% की वृद्धि हुई है, जबकि अन्य प्रमुख मुद्राओं में गिरावट आई है.
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