शिमला: हिमाचल प्रदेश में चुनाव नजदीक हैं. भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने पहले ही अधिकांश सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. बीजेपी ने सबसे ज्यादा 62 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. बीजेपी की पहली लिस्ट में टिकट की आस लगाए कुछ बड़े नेताओं के नाम गायब हैं, कुछ सीटों में बदलाव भी हुआ है. अब कहीं न कहीं पार्टी को उन नेताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है. धर्मशाला में बगावत का मामला सामने आया है. बीजेपी में बगावत के सुर में कांग्रेस भी अपने लिए एक मौका देख रही है. कहा जा रहा है कि पार्टी भाजपा के कुछ बागी नेताओं को टिकट दे सकती है, इसलिए दूसरी सूची का ऐलान टाल दिया गया है.
हिमाचल प्रदेश में लगातार दूसरी बार सरकार बनाने के लिए मेहनत कर रही भाजपा भले ही भाई-भतीजावाद के चलते लगातार कांग्रेस पर निशाना साध रही हो, लेकिन पार्टी ने कुछ टिकट परिवार के आधार पर दिए हैं, जबकि कुछ मौजूदा विधायकों का टिकट काटकर नए चेहरों को मौका दिया गया है. बीजेपी ने 5 महिलाओं को टिकट दिया है जबकि 11 उम्मीदवार अनुसूचित जाति और 8 अनुसूचित जनजाति से हैं. 11 विधायकों के टिकट काटे गए हैं जबकि दो मौजूदा मंत्रियों की सीटों में बदलाव किया गया है. एक मंत्री को हटाया गया है और उनके बेटे को टिकट दिया गया है. पहली सूची में 19 नए चेहरे हैं, जिनमें से कुछ 2017 में कांग्रेस के उम्मीदवार रहे हैं. बीजेपी ने कुल्लू, रामपुरस बरसर, हरोली, देहरा, ज्वालाजी सीटों से उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है.
धर्मशाला में छिड़ी बगावत
धर्मशाला सीट से बीजेपी ने राकेश चौधरी को टिकट दिया है. भाजपा से ताल्लुक रखने वाले चौधरी ने 2019 का उपचुनाव निर्दलीय के रूप में लड़ा और बाद में आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे, जून में घर लौटे राकेश को टिकट मिलने के बाद भाजपा की स्थानीय इकाई ने बगावत कर दी है. भाजपा के कुछ कार्यकर्ताओं ने पार्टी के प्रखंड कार्यालय पर नारेबाजी की और पार्टी नेतृत्व से उम्मीदवार बदलने की मांग की. धरना का नेतृत्व कर रहे भाजपा एसटी मोर्चा के जिलाध्यक्ष विपिन नेहरिया ने कहा कि चौधरी को टिकट दिए जाने से पार्टी कार्यकर्ता नाराज हैं. विपिन के मुताबिक अगर पार्टी उम्मीदवार नहीं बदलती है तो वह 21 अक्टूबर को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल करेंगे.
भाई के विरोध में बहन
धर्मशाला की तरह मंडी की धर्मपुर विधानसभा सीट पर भी टिकट बंटवारे को लेकर विवाद हो गया है. महेंद्र ठाकुर के बेटे रजत ठाकुर को बीजेपी ने मैदान में उतारा है, लेकिन रजत ठाकुर की बहन वंदना ठाकुर ने उनका विरोध किया है. बताया जाता है कि वंदना गुलेरिया भी टिकट की दावेदार थीं लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला, जिससे वह पिता और भाई से नाराज हो गई है. भाजपा महिला मोर्चा की महासचिव वंदना ठाकुर ने अपने भाई को टिकट मिलने के विरोध में 55 अन्य महिला सदस्यों के साथ अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
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