वडोदरा का सबसे पहला औद्योगिक क्षेत्र यानी मांजलपुर. गुजरात राज्य के गठन के बाद नई औद्योगिक नीति के तहत जीआईडीसी की स्थापना की गई थी और मांजलपुर जीआईडीसी स्थापित होने वाली पहली औद्योगिक संपदाओं में से एक थी. वडोदरा-मुंबई राजमार्ग के समानांतर विकसित हुआ इलाका अब धीरे-धीरे आवासीय क्षेत्रों में विकसित हुए और वर्तमान मांजलपुर का गठन किया. आज यहां निम्न मध्यम वर्ग से लेकर उच्च मध्यम वर्ग तक के रिहायशी इलाके, शॉपिंग मॉल, मल्टीप्लेक्स, अत्याधुनिक अस्पताल सहित सुविधाएं मौजूद हैं. पहले यह क्षेत्र रावपुरा विधानसभा सीट के अंतर्गत आता था लेकिन नए सीमांकन के बाद रावपुरा और वडोदरा शहर के कुछ क्षेत्रों को अलग करके मांजलपुर विधानसभा सीट अस्तित्व में आई. इस सीट के तहत कुल 2,32,669 मतदाता पंजीकृत हैं.
मिजाज
इस चुनाव में मांजलपुर का क्या मिजाज है, इसे पूरा गुजरात ही नहीं, बल्कि बीजेपी के बड़े नेताओं ने भी जान लिया है. यहां बीजेपी का दबदबा है और बीजेपी में योगेश पटेल का दबदबा माना जाता है. रावपुरा विधानसभा के विधायक के रूप में लगातार चार बार और मांजलपुर सीट के प्रतिनिधि के रूप में दो कार्यकाल जीतने वाले योगेश पटेल के लिए मांजलपुर का अटूट समर्थन है. दोनों चुनावों में उन्होंने प्रचंड बहुमत हासिल किया है.
रिकॉर्ड बुक
साल विजेता पार्टी मार्जिन
2012 योगेश पटेल बीजेपी 51,785
2017 योगेश पटेल बीजेपी 56,362
कास्ट फैब्रिक
यहां पाटीदार वोटरों का दबदबा है. इसके अलावा मराठी भाषी और दलित मतदाता भी अच्छी खासी संख्या में हैं. हालांकि, वड़ोदरा शहर की विशिष्टता यह है कि वडोदरा गुजरात का एकमात्र शहर है जहां जातिवाद बिल्कुल नहीं देखा जाता है. यहां उम्मीदवार के उत्साह और जनसंपर्क को सबसे बड़ी योग्यता माना जाता है.
समस्या
हर साल मानसून में मांजलपुर के ज्यादातर इलाकों में ग्राउंड फ्लोर तक जलभराव हो जाता है, यह शिकायत लगातार बनी रहती है. एक तरफ राजमार्ग और दूसरी तरफ रेलवे ट्रैक के बीच मौजूद इस इलाके के पास से विश्वामित्री नदी भी गुजरती है. नदी में कचरा भरने की वजह से वह अब संकीर्ण होती जा रही है. नतीजतन मानसून के सीजन में नदी का पानी शहर में भर जाता है. इसके अलावा निगम में हर गर्मी में पीने योग्य पानी का भी सवाल उठता रहता है.
मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
76 वर्षीय योगेश पटेल इस सीट से लगातार सातवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं. जनता के नेता के रूप में वह भाजपा में रहते हुए भी भाजपा के खिलाफ आवाज उठाने में सक्षम हैं. सरल व्यक्तित्व और मुखर स्वभाव के योगेश पटेल को उम्र के कारण भाजपा ने न दोहराने का मन बना लिया था और उनकी जगह पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल की बेटी अनार पटेल को इस सुरक्षित सीट से उतारने की बात चल रही थी. लेकिन इस क्षेत्र में योगेश पटेल की लोकप्रियता बताती है कि भाजपा को स्थानिक विरोध की वजह से उनके आगे झुकना पड़ा.
प्रतियोगी कौन?
कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. तश्विन सिंह गैर-गुजराती हैं. स्थानीय स्तर पर भी उनका विरोध हुआ था लेकिन कांग्रेस ने उनकी उम्मीदवारी पर मजबूती से कायम है. डॉ. तश्विन सिंह डेंटल सर्जन हैं लेकिन मांजलपुर इलाके में उनकी खास पहचान नहीं है. ऐसे में देखना होगा कि कांग्रेस संगठन भी उनकी कुछ मदद कर पाता है या नहीं.
तीसरा कारक
आप के प्रत्याशी विनय गुप्ता भी गैर गुजराती हैं. आप का संगठन स्थानीय स्तर पर विशेष रूप से प्रभावी नहीं है. शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मुफ्त चीजों की पेशकश यहां चर्चा का विषय जरूर बनी है लेकिन इसे मतपेटी तक पहुंचाने का काम आप के नए प्रत्याशी के लिए मुश्किल होगा. जिसे देखते हुए बीजेपी के दिग्गज नेता योगेश पटेल यहां मार्जिन का नया रिकॉर्ड बना दें तो आश्चर्य नहीं होगा.
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