भरूच: गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव में सभी दल के प्रत्याशियों ने नामांकन दाखल कर दिया है. दूसरे चरण के मतदान के लिए फार्म भरने का आज आखिरी दिन था. टिकट बंटवारे को लेकर राजनीतिक दलों में शुरू हुए विवाद के बीच भरूच जिले की झघड़िया विधानसभा सीट पर होने वाली पिता-पुत्र की लड़ाई खत्म हो गई है. छोटूभाई वसावा के बेटे महेश वसावा ने अपना नामांकन वापस लेकर इस विवाद को खत्म कर दिया है.
पिता-पुत्र के विवाद का सुखद अंत
झगड़िया विधानसभा सीट पर बीटीपी उम्मीदवार महेश वसावा ने अपने पिता की पारंपरिक सीट से उम्मीदवारी का ऐलान किया था. उनके खिलाफ उनके पिता छोटू वसाव और पार्टी के संरक्षक ने निर्दीलय चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. अब जानकारी सामने आ रही है कि आज उनके बेटे महेश वसावा ने अपना पर्चा वापस ले लिया है. यानी अब चुनावी मैदान में बाप-बेटे की लड़ाई का सुखद अंत हो गया है.
अचानक सीट चर्चा में आ गई थी
राज्य में आदिवासी निर्वाचन क्षेत्र की यह उस चर्चा में उस वक्त आ गई थी जब पिता-पुत्र फॉर्म भरकर आमने-सामने आ गए थे. पिछले 35 सालों से गुजरात की राजनीति में दबदबा बनाए रखने वाले छोटूभाई वसावा के बेटे महेश वसावा ने भारतीय ट्राइबल पार्टी से जबकि पिता छोटू वसावा ने निर्दलीय उम्मीदवारी दाखिल की थी. लेकिन अब बेटे ने अपना नामांकन वापस ले लिया है.
छोटू वसावा पिछले सात कार्यकाल से विधायक हैं
भारतीय ट्राइबल पार्टी के संस्थापक छोटू वसावा लगातार 7 बार झगड़िया विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं. इस सीट पर उनकी सालों से मजबूत पकड़ है. इस सीट से उन्हें न तो बीजेपी और न ही कांग्रेस हरा सकी है. छोटू वसावा ने निर्दलीय उम्मीदवारी दाखिल करने के बाद कहा था कि मैं खुद एक पार्टी हूं, मुझे किसी पार्टी की जरूरत नहीं है. सरकार जैसी कोई चीज नहीं है, अन्यथा मोरबी जैसी घटना नहीं होती. पुत्र महेश वसावा के बारे में पूछे जाने पर छोटू ने जवाब देने से इनकार कर दिया.
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