मोरबी के लिए कल का रविवार ‘ब्लैक संडे’ साबित हुआ है. वीकेंड का लुत्फ उठाने के लिए खरीदा गया 17 रुपये का टिकट डेथ टिकट बन गया है. ओरेवा कंपनी ने पैसा कमाने की लालच में पुल की क्षमता से कई गुना ज्यादा टिकट देकर लोगों की जान ले ली है. जिसके बाद जिम्मेदार लोगों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है. पुलिस शिकायत में पुल रखरखाव एजेंसी के खिलाफ धारा 304, 308 और 114 के तहत अपराध दर्ज किया गया है, लेकिन ओरेवा कंपनी या मालिक का नाम प्राथमिकी में कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है. इसके अलावा नगर पालिका के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई नहीं की गई है.
ओरेवा के मालिक अपने परिवार के साथ ब्रिज का किया था उद्घाटन
पुल के मरम्मत का काम पूरा होने के बाद अभी 5 दिन पहले ओरेवा कंपनी के मालिक जयसुखभाई अपने परिवार के साथ इसका उद्घाटन करने पहुंचे थे, इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. हादसे के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है. लेकिन इसमें जयसुखभाई और उनकी कंपनी का नाम नहीं लिखा है. जबकि साफ जाहिर है कि कंपनी की लापरवाही की वजह से यह हादसा हुआ है.
बचाव की भूमिका में सरकार?
रविवार को जब यह घटना हुई तो पूरा मोरबी स्तब्ध रह गया. मौत की चीख-पुकार और एंबुलेंस के सायरन की आवाज पूरी रात मोरबी में सुनाई दी. इस हादसे में कई लोगों का परिवार उजड़ गया है. पुलिस ने जिम्मेदार कंपनी के खिलाफ धारा 304, 308 और 114 के तहत मामला दर्ज किया है. पुल की देखरेख करने वाली ओरेवा कंपनी और उसके मालिक का नाम एफआईआर में नहीं है. जिसके बाद चर्चा शुरू हो गई हैं कि सरकार जिम्मेदार लोगों को बचाने की भूमिका में है.
मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह झाला ने मीडिया से बातचीत में संचालक कंपनी ओरेवा पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि ओरेवा कंपनी ने बिना आधिकारिक सूचना दिए लोगों को पुल पर जाने की अनुमति दी थी. लेकिन सवाल यह उठता है कि पिछले 5 दिन से पुल पर लोग हजारों की संख्या में आ रहे हैं तो फिर नगर निगम की टीम पहले ही इन सवालों को लेकर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही थी, और जब हादसा हो गया है तो इसका जिम्मेदार नगर निगम के अधिकारियों को क्यों न माना जाए.
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